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Rajendra Sonkusare - Home

जैसा की आप सभी जानते इंसान के जीवन में डर का होना और किस्मत पर भरोसा करना दोनों ही जीवन का हिस्सा है।  मगर दोनों का जरूरत से ज्यादा होना कभी भी फायदे मंद नहीं रहा है।  मगर मेरे केस में किस्मत पर यकीन करना सिर्फ १% ही था।  मगर मैं अपना हर काम पूरे परफेक्शन के साथ करना पसंद करता हु।  ये सब मैंने जो अब तक बताया वो सब कुछ मेरे आददतो के बारे में था।  

लोगो की लाइफ में उनके द्वारा लिया गया निर्णय ही उनकी लाइफ को नई दिया और रास्ता दिखता है।  जब मैं  अपनी स्कूल की पढाई कर रहा था तब मैंने नहीं सोचा था की आगे जाकर लाइफ क्या बनूँगा? लाइफ मुझे कहा लेकर जाएगी?  मैंने कभी भविस्य का ज्यादा नहीं सोचा था और हमेसा की तरह दैनिक दिनचर्या में वयस्त रहता। बिना किसी लक्ष्य की लाइफ हमेशा दिशा हीन होती है।  किसी के भी जीवन में लक्ष्य का होना महत्वपूर्ण होता है।

मैं पढाई सिर्फ लोगो के लिए और उनको दिखने के लिए ही करता था। मैं सिर्फ लोगो की भीड को फॉलो कर रहा था।  मेरा कोई सोच था ही नहीं अपनी लाइफ में कुछ करने का।  और मैं और ज्यादा डरने लेगा था। और मैं करियर की अंधी दौड़ में दौड़ता रहा। और लाइफ जहा लेजाती रही मैं चलता रहा।  धीरे - धीरे मैं अब दिखावट का पुतला बनता चला गया।  मैं पढाई में हमेशा से एक साधाहरण स्टूडेंट रहा हु।  मैंने हमेशा वो काम किया जो लोगो को पसंद आते और जो उनके लिए होते।  मैंने कभी अपनी जरूरतों को समझने की कोशिश भी नहीं की।  मैंने लोगो का काम करके ही खुश रहता।  अब मेरी लाइफ में मेरा कुछ भी मेरा कहने को नहीं था। मेरी इस स्वभाव ने लोगो का मन जितने में तो काफी मदद की मगर मुझे खुद से दूर करता चला गया।

मेरे साथ मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे माता - पिता , १ भाई और १ बहन है।  मेरे पिता बालको के एलुमिनियम बनाने वाले प्लांट में मशीन ऑपरेटर के तौर पर काम करते थे।  हमारा परिवार लोअर मिडिल क्लास आता था।  हमारा परिवार भी फिनान्सिअल क्राइसिस से गुजरता रहता था।  हमारे साथ एक और परिवार रहता था वो परिवार मेरे पिता के बड़े भाई का था।  जिनको हम बड़े पापा कहते थे।  उनके परिवार में बड़े पापा - बड़ी मम्मी, १ भईया और १ बहन है।  हमरे परिवार में पापा और बड़े पापा की तो अच्छी जमती थी मगर मम्मी और बड़ी मम्मी की बिलकुल नहीं जमती थी।  जिसकी वजह से उनके बिच आए दिन झगड़ा होता रहता था।  और परिवार में आए दिन तनाव का माहौल बना रहता।  जो मुझे बहुत परेशान करता था। मैं हमेशा इस कोसिस में लगा रहता की हमारे परिवार में यूनिटी बनी रहे।  और हम हमेशा साथ रहे। मेरी इन साडी कोशिशों पर मेरी माँ का सक्की स्वभाव पानी फेर देता था। 

ऐसा बहुत कम ही होता जब मम्मी और बड़ी मम्मी किसी मुद्दे पर एक साथ हो।  वो दिन मेरे लिए बहुत खुसी का दिन रहता था।  इन सारी समस्याओ के और समस्या हमारे परिवार में थी, वो थी भूतो की।  मगर मैंने कभी भूतो को नहीं देखा  लेकिन मेरे पापा और बड़े पापा इन बाबाओ और तांत्रिको के चक्कर में पद कर आये दिन किसी न किसी बहरूपियों को घर में ले आते।  जिसकी वहज से घर में डर का मोहोल बन गया था।  मैं, मेरा भाई , मेरी बहन ,भईया और मेरी दूसरी बहन हम सब डरे रहते।  हमे रात में कहि भी जाने में डर लगता।  आज जब मैंने अपने पास्ट लाइफ में देखता हु तो ऐसा लगता है हम लोगो कितने नादान थे जो किसी के बहकावे में आजाते थे।  और कोई भी हमे बेवकूफ बना कर चले जाता था।  

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