Childhood
हेलो दोस्तों 😇,
आशा करता हूँ आप सभी अपनी लाइफ को नई दिशा देने के लिए, और जीवन में उत्साह भरने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे होंगे।
मुझमे और मेरे छोटे भाई में सिर्फ दो साला का अंतर है और बहन सबसे छोटी है। मेरी एक और छोटी बहन थी मगर वो बचपन में ही बीमारी की वजह से नहीं रही। उस वक़्त मेरे माता-पिता ने उसे बचने की बहुत कोशिश की, मगर असफल रहे।
खैर अब हम स्कूल जाने लगे थे। स्कूल के वो दिन भी क्या दिन होते है जब सभी बिना किसी भूत-भविष्य की चिंता किये अपने में मगन रहना। नादानियों भरी सरारते करना। मुझे आज भी याद है जब मम्मी टिफिन देकर स्कूल भेजती मगर मैं हमेशा टिफिन जैसा का वैसा घर ले आता था। मैं बचपन से ही बहुत शर्मीला और आज्ञाकारी रहा हु। और आसानी हर किसी की बात मान लेता हूँ। मेरे स्वभाव के कारण घर में और बाहर लोग पसंद करते। उसी के विपरिट मेरा भाई है जो किसी की बात नहीं मानता और हर किसी से पंगा लेता रहता हैं। और मेरी बहन बहुत ही प्यारी और मासूम सी है। और वो मेरी सबसे दुलारी हैं ।
भाई और मेरे बिच में हमेशा बहन को लेकर छोटी - मोटि लड़ाईया होती रहती थी। भाई किसी न किसी बहाने से बहन से झगड़ा करता तो मैं उनके बिच में न चाहते हुए भी उतर जाता और बहन का पक्ष लेता और भाई अकेला पड़ जाता था। जिससे वो बहुत गुस्सा हो जाता। मैंने कभी इस बारे में धयान से सोचा ही नहीं की उसे भी मेरी जरूरत है। मैं हमेशा अपने में ही मगन रहा। धीरे-धीरे लोगो की बातो को मानना और उनको प्राथमिकता देना मेरी आदात बन गया।
मेरी बहन का स्कूल बहुत दूर था तो मुझे और मेरे भाई को उसे लेने और छोड़ने जाना होता था तो कभी पापा चले जाते थे। जब मुझे या मेरी भाई को उसे लेने या छोड़ने जाना होता तो हम एक दूसरे को बोलते। और जब कोई हल नहीं निकलता तो एक बात से फैसला होता की अगर कोई छोड़ने गया तो दूसरा लेने जायेगा। बचपन में हम सभी ने कभी न कभी पापा ले पॉकेट से पैसे से निकले होंगे और पापा की डाट खाई होगी। मेरा भाई भी उनमे से एक है जो ऐसी नादानियाँ करता था और खूब डट खाता।
हम सब की स्कूल लाइफ में गर्मियों की छुट्टी का के अलग ही महत्व है। मेरे लिए भी ये छुट्टिया एक अलग सा रोमांच ले कर अति थी। जब हमारी गर्मियों की छुट्टियाँ लगती तो मैं, मेरा भाई और कुछ पड़ोस के दोस्त मिलकर पुरे एरिया में उधम मचा देते। और घर वालो, पड़ोसियों को परेशान कर देते मैं आपको अगले पोस्ट में बताऊंगा की जब हमारी गर्मियों की छुट्टी लगती तो हम ऐसा क्या करते थे ?
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